पांच हेक्टेयर से अधिक की खदानों के मामले
में श्रमिकों को प्राथमिकता देने के निर्देश
इंदौर। सरकार और प्रशासन ने रेत के अवैध खनन को लेकर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। खनन नीति को लेकर नए नियम जारी कर दिए हैं। इसके बाद अवैध परिवहन पर चार लाख और ओवरलोडिंग पर अधिकतम दो लाख रुपए तक की पेनल्टी लगाने की बात कही है। यही नहीं, नर्मदा नदी में अब मशीनों से रेत खनन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल से अधिक की खदानों के मामले में श्रमिकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
रेत खनन को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा सस्टेनेबल सेंड माइनिंग मैनेजमेंट गाइड लाइन 2016 में तय किए गए प्रावधान का कड़ाई से पालन करने की भी व्यवस्था की गई है, जिससे की सार्वजनिक प्रयोजन से जुड़े निर्माण को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचे। अवैध परिवहन के मामलों में जुर्माने का कड़ा प्रावधान किया गया है। इसके तहत ट्रैक्टर ट्राली से जहां 25 हजार रुपए तक पेनल्टी वसूलने का प्रावधान किया गया है। वहीं एक्सल छह पहिया वाहन के लिए 50 रुपए पेनल्टी की राशि वसूल की जाएगी। इसी तरह डम्पर हाइड्रोलिक छह पहिया वाहन के लिए एक लाख रुपए, थ्री एक्सल 10 पहिया वाहन के लिए दो लाख और चार-छह पहिया एक्सल 10 से वाहन से अधिक के लिए चार लाख रुपए लिए जाएंगे। नए नियमों में नर्मदा नदी में स्वीकृत की गई खदानों से मशीनों द्वारा खनन, लदान या भंडारण पर प्रतिबंध रहेगा। बाकी नदियों में स्थित पांच हेक्टेयर तक की खदानों में से खनन, लदान और संरक्षण के लिए स्थानीय श्रमिकों की समितियों से कराना होगा। वहीं पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल से अधिक की खदानों के मामले में श्रमिकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
नगरीय निकाय द्वारा शुरू किए गए शासकीय योजना या अन्य लाभप्रद कार्यों जैसे स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए निकटतम स्वीकृत खदान से रायल्टी का भुगतान करने के बाद ही रेत प्राप्त की जा सकेगी। अजा, अजजा के मजदूर सदस्यों, कारीगरों, ग्रामीण कृषकों द्वारा स्वयं के आवास के निर्माण, मरम्मत, कुओं का निर्माण व कृषि कार्यों के लिए एक वर्ष में अधिकतम 10 घनमीटर रेत का उपयोग किया जा सकेगा। इसी तरह किसी जलप्रदाय योजना या जल संसाधन योजना के 200 मीटर धारा के प्रतिकूल अपस्ट्रीम और डाइन स्ट्रीम क्षेत्रों के भीतर भी खनन नहीं हो सकेगा। इसके अलावा किसी पुल के 200 मीटर के भीतर भी रेत खनन प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन, इस मामले में राज्य सरकार ने रियायत भी बरती है। नए नियमों में प्रावधान किया गया है कि यदि प्रतिबंधित क्षेत्र की सीमा के भीतर खनन की अनुमति को लेकर कोई आवेदन प्राप्त होता है तो संबंधित प्रशासकीय विभाग से अनापत्ति, सहमति प्राप्त होने के बाद ही विचार किया जा सकेगा कि यहां खनन की अनुमति दी जाए अथवा नहीं।
ये भी किया तय
इसके अलावा राजकीय राजमार्ग के किनारों से 50 मीटर या अन्य ग्रामीण सड़क के किनारे से 10 मीटर के भीतर, किसी नहर, जलाशय या भवन से 50 मीटर के भीतर, राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे लाइन के किनारों से 100 मीटर के भीतर भी रेत खनन नहीं किया जा सकता।
रेत खनन को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा सस्टेनेबल सेंड माइनिंग मैनेजमेंट गाइड लाइन 2016 में तय किए गए प्रावधान का कड़ाई से पालन करने की भी व्यवस्था की गई है, जिससे की सार्वजनिक प्रयोजन से जुड़े निर्माण को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचे। अवैध परिवहन के मामलों में जुर्माने का कड़ा प्रावधान किया गया है। इसके तहत ट्रैक्टर ट्राली से जहां 25 हजार रुपए तक पेनल्टी वसूलने का प्रावधान किया गया है। वहीं एक्सल छह पहिया वाहन के लिए 50 रुपए पेनल्टी की राशि वसूल की जाएगी। इसी तरह डम्पर हाइड्रोलिक छह पहिया वाहन के लिए एक लाख रुपए, थ्री एक्सल 10 पहिया वाहन के लिए दो लाख और चार-छह पहिया एक्सल 10 से वाहन से अधिक के लिए चार लाख रुपए लिए जाएंगे। नए नियमों में नर्मदा नदी में स्वीकृत की गई खदानों से मशीनों द्वारा खनन, लदान या भंडारण पर प्रतिबंध रहेगा। बाकी नदियों में स्थित पांच हेक्टेयर तक की खदानों में से खनन, लदान और संरक्षण के लिए स्थानीय श्रमिकों की समितियों से कराना होगा। वहीं पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल से अधिक की खदानों के मामले में श्रमिकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
नगरीय निकाय द्वारा शुरू किए गए शासकीय योजना या अन्य लाभप्रद कार्यों जैसे स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए निकटतम स्वीकृत खदान से रायल्टी का भुगतान करने के बाद ही रेत प्राप्त की जा सकेगी। अजा, अजजा के मजदूर सदस्यों, कारीगरों, ग्रामीण कृषकों द्वारा स्वयं के आवास के निर्माण, मरम्मत, कुओं का निर्माण व कृषि कार्यों के लिए एक वर्ष में अधिकतम 10 घनमीटर रेत का उपयोग किया जा सकेगा। इसी तरह किसी जलप्रदाय योजना या जल संसाधन योजना के 200 मीटर धारा के प्रतिकूल अपस्ट्रीम और डाइन स्ट्रीम क्षेत्रों के भीतर भी खनन नहीं हो सकेगा। इसके अलावा किसी पुल के 200 मीटर के भीतर भी रेत खनन प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन, इस मामले में राज्य सरकार ने रियायत भी बरती है। नए नियमों में प्रावधान किया गया है कि यदि प्रतिबंधित क्षेत्र की सीमा के भीतर खनन की अनुमति को लेकर कोई आवेदन प्राप्त होता है तो संबंधित प्रशासकीय विभाग से अनापत्ति, सहमति प्राप्त होने के बाद ही विचार किया जा सकेगा कि यहां खनन की अनुमति दी जाए अथवा नहीं।
ये भी किया तय
इसके अलावा राजकीय राजमार्ग के किनारों से 50 मीटर या अन्य ग्रामीण सड़क के किनारे से 10 मीटर के भीतर, किसी नहर, जलाशय या भवन से 50 मीटर के भीतर, राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे लाइन के किनारों से 100 मीटर के भीतर भी रेत खनन नहीं किया जा सकता।