युवाओं ने शहीद की पत्नी को तोहफे में दिया 10
लाख का मकान, हथेली पर गृह प्रवेश कराया!
इंदौर। देपालपुर के पीरपीपलिया गांव के युवाओं ने शहीद मोहनलाल सुनेर के परिवार को 10 लाख रुपए का मकान उपहार में दिया। इसके लिए 'वन चेक फॉर शहीद' अभियान चलाया और करीब 11 लाख रुपए एकत्रित किए। रक्षाबंधन के दिन सुनेर की पत्नी को गृहप्रवेश कराया और राखी भी बंधवाई। एक लाख रुपए से शहीद की मूर्ति बनवाई जाएगी।
बेटमा के पास पीरपीपलिया के रहने वाले मोहनलाल सुनेर दिसंबर 1992 में त्रिपुरा में उग्रवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। अभियान के संयोजक विशाल राठी का कहना है कि मोहनलाल के परिवार को राज्य या केंद्र सरकार से कोई मदद नहीं मिली। उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया था। सुनेर की पत्नी को अपने दो बेटों को पालना मुश्किल हो रहा था। मोहनलाल की पत्नी राजूबाई ने बताया कि पति जब शहीद हुए, उस वक्त बड़ा बेटा 3 साल का था। वे 4 महीने की गर्भवती थीं। पति की शहादत के बाद दोनों बच्चों को पालने के लिए कड़ी मेहनत की और झोपड़ी में रहते हुए मजदूरी कर बच्चों को बड़ा किया। उनकी शहादत पर गर्व है। राठी के मुताबिक, शहीद के परिवार के लिए 10 लाख रुपए में घर तैयार हो गया। एक लाख रुपए मोहनलाल की प्रतिमा के लिए रखे हैं। प्रतिमा भी लगभग तैयार है। इसे पीरपीपल्या मुख्य मार्ग पर लगाएंगे। जिस सरकारी स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की, उसका नाम भी सुनेर के नाम पर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। अभियान से जुड़े सोहन लाल परमार ने बताया कि पैसा जुटाने में बेटमा ,सांवेर, गौतमपुरा, पीथमपुर, सागौर कनाड़िया, बड़नगर, हातोद, आगरा और महू क्षेत्र के लोगों ने सहयोग किया।
बड़ा बेटा बीएसएफ में
सुनेर का बड़ा बेटा राजेश बीएसएफ में कार्यरत है। छोटा बेटा राकेश मां के साथ बेटमा रहता है। गांव के कुछ युवाओं ने उनकी माली हालत सुधारने की पहल की। इसी के तहत 'वन चेक फॉर शहीद' नामक अभियान चलाया गया। शहीद की पत्नी से गुरुवार को बड़ी संख्या में युवाओं ने राखी बंधवाई। इसके बाद घर में हथेलियों पर गृह प्रवेश कराया गया।
बेटमा के पास पीरपीपलिया के रहने वाले मोहनलाल सुनेर दिसंबर 1992 में त्रिपुरा में उग्रवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। अभियान के संयोजक विशाल राठी का कहना है कि मोहनलाल के परिवार को राज्य या केंद्र सरकार से कोई मदद नहीं मिली। उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया था। सुनेर की पत्नी को अपने दो बेटों को पालना मुश्किल हो रहा था। मोहनलाल की पत्नी राजूबाई ने बताया कि पति जब शहीद हुए, उस वक्त बड़ा बेटा 3 साल का था। वे 4 महीने की गर्भवती थीं। पति की शहादत के बाद दोनों बच्चों को पालने के लिए कड़ी मेहनत की और झोपड़ी में रहते हुए मजदूरी कर बच्चों को बड़ा किया। उनकी शहादत पर गर्व है। राठी के मुताबिक, शहीद के परिवार के लिए 10 लाख रुपए में घर तैयार हो गया। एक लाख रुपए मोहनलाल की प्रतिमा के लिए रखे हैं। प्रतिमा भी लगभग तैयार है। इसे पीरपीपल्या मुख्य मार्ग पर लगाएंगे। जिस सरकारी स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की, उसका नाम भी सुनेर के नाम पर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। अभियान से जुड़े सोहन लाल परमार ने बताया कि पैसा जुटाने में बेटमा ,सांवेर, गौतमपुरा, पीथमपुर, सागौर कनाड़िया, बड़नगर, हातोद, आगरा और महू क्षेत्र के लोगों ने सहयोग किया।
बड़ा बेटा बीएसएफ में
सुनेर का बड़ा बेटा राजेश बीएसएफ में कार्यरत है। छोटा बेटा राकेश मां के साथ बेटमा रहता है। गांव के कुछ युवाओं ने उनकी माली हालत सुधारने की पहल की। इसी के तहत 'वन चेक फॉर शहीद' नामक अभियान चलाया गया। शहीद की पत्नी से गुरुवार को बड़ी संख्या में युवाओं ने राखी बंधवाई। इसके बाद घर में हथेलियों पर गृह प्रवेश कराया गया।